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भुतहा मकान भाग - 6

भाग 7 : भूतों से निपटने का प्लान 


सुबह हो चुकी थी । राजन की आंख  खुली तो वह अपने बिस्तर पर पड़ा हुआ था । उसे बीती रात की एक एक करके सारी घटनाएं याद आ गई । कल रात एक साथ दो दो भूतों के दर्शन हुए थे उसे । दोनों एक जैसे लग रहे थे । सिर कटे हुए थे दोनों के । बाकी धड़ एक जैसा था । कल पहली बार उसने अपने बदन पर किसी भूत का स्पर्श महसूस किया था । वह उस घटना को याद करते ही सिहर उठा था । उसका हाथ अनायास ही अपनी गर्दन पर चला गया था । उसे हल्की सी खरोंच आई थी । उसने आईने में खुद को देखा तो गर्दन पर खरोंच के निशान स्पष्ट नजर आ रहे थे । 
उसे अब कुछ कुछ समझ आ रहा था । उसने सोचा कि डरने से कुछ हासिल नहीं होता है , मुकाबला करने से होता है । हमारे शास्त्र भी यही कहते हैं कि उठ, युद्ध कर । कापुरुष की तरह जीने के फजाय वीरों की तरह मरने से स्वर्ग प्राप्त होता है । इन भूतों ने अपनी मनमानी खूब कर ली । अब उन्हें सबक सिखाना होगा । पर कैसे ? थोड़ी देर तक उसने ठंडे दिमाग से सोचा फिर दृढ निश्चय किया । उस ने इन भूतों से निपटने का प्लान बनाया । उसने आज की छुट्टी ले ली । सबसे पहले तो उसने एक बढिया से इनवर्टर की व्यवस्था की । अब यदि लाइट चली भी जाये तो इनवर्टर से पुन : लाइट जल जायेंगी । इससे अंधेरा नहीं होगा । उसके प्लान का यह सबसे मुख्य बिन्दु था । उसे तो ताज्जुब हो रहा था कि उसने अब तक इन्वर्टर लिया क्यों नहीं ? 

भूतों का साम्राज्य अंधेरे में ही होता है । भूतों की शक्ति अंधेरे में ही प्रबल होती है । उजालों में कभी किसी ने भूत नहीं देखा है क्या आज तक ? भूत अंधेरे में ही पैदा होते हैं , फलते फूलते हैं । इसलिए भूतों की जान अंधेरे में ही होती है । राजन ने इस अंधेरे पर ही चोट कर दी थी आज । 

अब उसका ध्यान गया खिड़की पर । खिड़की में शीशे फिट थे इस कारण कमरे से बाहर का और बाहर से अंदर का दृश्य दिखता रहता था । उसने खिड़कियों पर पर्दे लगा दिए । अब बाहर का कुछ भी दिखाई नहीं देता था । अब खिड़की के बाहर खड़े हुए किसी भी व्यक्ति को देखा नहीं जा सकता था । 

उसे याद आया कि भूत घर के अंदर तक आया था और उसकी गर्दन पर हाथ भी फिराया था । उसने कुछ सोच विचार कर एक कारपेन्टर बुलवाया और दरवाजों में कुछ कुछ काम करवाया । इसके अलावा एक सीसीटीवी लेकर आया और घर के बाहर और भीतर उसने कैमरे फिट करवा दिए । मॉनीटर अपने कक्ष में रखवा लिया था । घर के बाहर की गतिविधियों पर अब वह नजर रख सकता था ।

इन सब कामों को करवाने के बाद वह दिन में थोड़ी देर के लिए सो गया था । आज रात उसे जागना था और "भूत लीला" भी देखनी थी । और वह भी अच्छी तरह से । इसलिए एक बढिया सी नींद निकाल ली थी उसने । नींद निकालने के बाद वह तन और मन से अपने आपको तरोताजा महसूस करने लगा था । 

अब वह रात का इंतजार करने लगा । परिस्तिथियां कैसे बदल जाती हैं , राजन उसका उदाहरण है । जिस रात से पहले उसे डर लगता था आज वह रात होने का इंतजार कर रहा था । आखिर रात भी हुई और राजन का इंतजार भी खत्महुआ । राजन खाना खाकर रामचरित मानस पढने बैठ गया । उसने पूरे घर की लाइटें जला दीं और बाकी के दूसरे  इंतजाम भी कर दिए थे । 

समय धीरे धीरे गुजरने लगा । उसकी निगाह बार बार घड़ी की सुइयों पर जाती और लौट आती थी । आज उसके दिल में धुकधुकी नहीं थी बल्कि कौतुहल था । जैसे ही रात के  बारह बजे , अचानक लाइट चली गई और उसे भूतों की पदचाप सुनाई देने लगी । राजन कुछ सोचता इससे पहले ही लाइट आ गई । इन्वर्टर ने अपना काम शुरु कर दिया था । राजन की सांस में सांस आई । उसके अधरों पर एक मुस्कान बिखर गई । अब उजाले में कैसे आएगा भूत ?

उसने अपना सारा फोकस सामने रखे सीसीटीवी के मॉनीटर पर कर लिया । भूतों की पदचाप लगातार सुनाई दे रही थी । बीच बीच में उनका भयानक अट्टहास भी सुनाई पड़ता था । मगर आज भूत दिखाई नहीं दे रहा था । दोनों भूतों में से एक भी भूत नजर नहीं आ रहा था । भूतों के चलने की आवाजें तो आ रही थी मगर भूत नजर नहीं आ रहे थे । आज दरवाजे के चरमराने की आवाज भी नहीं आ रही थी । लाइट आ ही रही थी । उजाले में भूत को नहीं दिखना था , इसलिए नहीं दिखा । उसने बार बार आगे पीछे, दायें बायें सब तरफ देख लिया मगर भूत कहीं भी नहीं दिखे । आज तो दरवाजे भी नहीं खुले वरना रोज अपने आप ही खुल जाते थे । 

राजन ने राहत की सांस ली । सब कुछ उसकी योजना के अनुरूप हो रहा था । आज उसे पहली बार भूतों से डर नहीं लग रहा था बल्कि उन्हें छकाने में आनंद आ रहा था । जब मनुष्य का दिमाग काम करता है और उसे खुद पर विश्वास होता है तो डर न जाने कहां गायब हो जाता है । 

उसने मॉनीटर पर अपनी आंखें गढा रखी थी । उसे पड़ोस के बरामदे में किसी के होने का आभास हुआ । उसने उस कैमरे पर फोकस किया और उसे जब जूम किया तो पता चला कि पडोस की नीलू की बेटी रमा थी वह । इतनी रात में वह वहां क्या कर रही है ? यह प्रश्न उसके दिमाग में कौंधा मगर जवाब उसके पास नहीं था । इसका जवाब तो रमा ही दे सकती थी । 

रमा के हाथ में मोबाइल था और वह किसी से बात कर,रही थी । शायद उसका बॉयफ्रेंड हो , राजन ने सोचा । पर रमा के चेहरे पर खीझ के भाव थे । उसका चेहरा गुस्से से लाल होने लगा था । राजन की कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर माजरा क्या है ? 

राजन ने उन भूतों का बहुत देर तक इंतजार किया मगर भूत नहीं आये । धीरे धीरे उनकी पदचाप भी आनी बंद हो गई । फिर राजन भी तान खूंटी सो गया । आज उसे वाकई चैन की नींद आई थी ।
क्रमश : 
हरिशंकर गोयल "हरि" 
7.7.22 

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5 Comments

Shrishti pandey

13-Jul-2022 08:17 AM

Nice one sir aglaa bhag kab post karenge ?

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Seema Priyadarshini sahay

08-Jul-2022 08:49 PM

Nice 👍

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Ilyana

07-Jul-2022 08:42 PM

Nice

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